Guru Kripa
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Here is the complete shloka "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन । मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥" and it means is mentioned below:
तेरा कर्ममें ही अधिकार है ज्ञाननिष्ठामें नहीं। वहाँ ( कर्ममार्गमें ) कर्म करते हुए तेरा फलमें कभी अधिकार न हो अर्थात्
तुझे किसी भी अवस्थामें कर्मफलकी इच्छा नहीं होनी चाहिये।
तेरा कर्ममें ही अधिकार है ज्ञाननिष्ठामें नहीं। वहाँ ( कर्ममार्गमें ) कर्म करते हुए तेरा फलमें कभी अधिकार न हो अर्थात्
तुझे किसी भी अवस्थामें कर्मफलकी इच्छा नहीं होनी चाहिये।